पापा एक हफ्ते के बाद सिंगापुर से आये हैं ।उनका हवाई जहाज देर से आया ।माँ आपको डिनर पार्टी में जाना था उनका इन्तजार नहीं कर सकीं ।
मैं ड्राइंग रूम में बैठकर घड़ी देखने लगा ----प्यारे पापा----- आते होंगे ---बस आते ही होंगे ।
पापा आ गए ।बड़े थके -थके लग रहे थे ।घर में घुसते ही उनकी निगाहें आपको ढूँढ़ रही थीं ।
माँ ,आपके बिना वे अकेले हैं ।मैं अकेलेपन का दर्द जानता हूँ ।वह तो अच्छा है कि मैं यहाँ हूँ ।मैं ही उनका साथ दे दूँगा ।
पापा नहा -धोकर कुर्सी पर बैठने ही वाले थे कि मैं चिल्लाया --पापा मेरे पास बैठो ।वे चेहरे पर एक जबरदस्ती मुस्कान लाये और मेरी पास वाली कुर्सी पर बैठ गए ।इससे मुझे बड़ा सुख मिला ।
मुझे बहुत भूख लग रही थी ।सोचा पापा को भी लग रही होगी ,सो मैंने पूछा -खाना लाऊँ !
-तुमने खा लिया बेटे ?
-नहीं पापा ।मेरी आँख का एक कोना गीला हो गया ।
-चलो दोनों मिलकर खाते हैं ।
हम मेज -कुर्सी पर पास -पास बैठ गए ।पापा ने पहले मेरी प्लेट लगाई फिर अपनी ।मैं खुश होकर खाने लगा मालूम है क्यों ?बहुत दिनों के बाद ऐसा मौक़ा आया कि पापा मेरे साथ थे ।लेकिन पापा बना हिलेडुले बैठे ही रहे ।मैंने झुककर उनकी आँखों में झांका |पापा की आँखें गीली थीं ।अचानक एक बूँद टप से उनके हाथ पर चूँ पड़ी । मैं सिसक पड़ा -- नहीं पापा जी !मैंने लपककर उस बूंद को मिटा दिया ।
ओह ऐसा भी होता है ? ..... बहुत संवेदनशील
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