शुक्रवार, 7 जून 2024

सफर में सफर जैसा जिया वैसा कहा

 

कड़ी 2

3 जून

विंडी सिटी शिकागो एयरपोर्ट से घर 





 

3 जून ,सुबह 10 बजे हम  माँ-बेटे शिकागो एयरपोर्ट पर पहुँच ही गए। टाटा एयरलाइंस में हमें शाकाहारी भोजन बहुत अच्छा दिया गया। साथ ही कर्मचारियों का व्यवहार बड़ा मृदुल था। इस समय मैं व्हील चेयर पर बैठी हूँ। मेरी व्हील चेयर खींचने वाला  छात्र जॉन है । शिकागो  एयरपोर्ट पर विद्यार्थियों का जाल  सा फैला हुआ है । यह काम करते हैं और पढ़ने के लिए पैसा भी कमाते हैं ।मुझे यह नियम बहुत अच्छा लगा। यहां न व्हीलचेयर की कमी  है। न ही उन्हें ले जाने वालों की।  व्हील चेयर सेवा विद्यार्थी ही कर रहे हैं! चाहे वह लड़का हो चाहे लड़की। इसमें पैसा तो मिलता ही है साथ ही  सेवा की भावना भी  उत्पन्न होती है।  बहुत ही  जिम्मेदारी का काम कर रहे हैं । साथ ही बहुत शिष्ट हैं।  हमारे देश में हुए विद्यार्थियों को छुट्टियों का मतलब है आराम या सैर -सपाटे। इन छुट्टियों का सदुपयोग आत्मनिर्भर बनने में किया जा सकता है।इससे वे पैसे की कीमत समझेंगे। आए दिन  सुनने में आता  हैं  --कक्षा छोड़कर मस्ती को निकल गए, फीस जमा न करके वह रकम  शराब पीने या ड्रग लेने में उड़ा दी।  पसीने की कमाई होने पर कुराफत करने से पहले एक बार तो सोचेंगे।


महिला गेराज काउंटर के सामने बैठी मैं उकता गई हूँ।  बेटा सामान खोजने की कोशिश कर रहा है।भारी  अटैचियों  का चक्का गोल -गोल घूम रहा है।  यात्री कितनी भारी अटैचियां उठाकर ट्रॉली पर रख रहे हैं जबकि अपने देश में एक किलो सामान उठाने में भी बेज्जती का अनुभव करते हैं ।नौकर की पुकार मचने  लगती है। अभी मेरे पास से  एक पुलिस महिला ऑफिसर कुत्ते को लेकर निकलीहै  जो लोगों का सामान सूंघ रहा है। इधर -उधर देखता  बड़ा  सतर्क है। सुरक्षा का यह अच्छा तरीका है। स्क्रीन पर आ रहा है Working dogs---Don't touch 


छात्र जॉन मेरे पास ही खड़ा रहा। सामान मिलने पर वह जल्दी से ट्रॉली खींचकर लाया और समान उसमें रखने में बेटे की मदद करने लगा। जॉन कुछ ज्यादा ही भावुक था। सामान मिलने में देरी हो रही थी तब मुझसे पूछने लगा -Will you take water or coffe? I can bring for  you .You should not be hungry for a long time. 

No--no !Thank you my son . मेरे मुंह से निकल पड़ा। अनजानी जगह में एक अंजान से मैं  जुड़ गई। वह मुस्करा दिया। मुझे उसके बोल बहुत प्यारे  लगे ठीक वैसे ही जैसे  उसका चेहरा था। 

दूसरे ही क्षण गंभीर हो गया। बातों ही बातों में उसने बताया--- मेरे मम्मी पापा का डाइवोर्स हो गया है।  मेरी दूसरी मां  ग्रैंड मदर का एकदम ध्यान नहीं रखती । बाहर होने पर मुझे हमेशा उनकी चिंता सताए रहती है। आपको देखकर मुझे अपनी दादी की याद आ गई। आपके बेटे कितने अच्छे हैं जो आपका इतना ध्यान रखते हैं। एक मेरे पिता है । एक महीना में एक बार भी दादी मां से बात करने का समय नहीं मिलता। उसकी बात सुनकर मैं गहरी सांस लेकर रह गई क्योंकि अब बुजुर्गों के प्रति उपेक्षा  का भाव तो हमारे देश में भी मामूली बात हो गई है। 

जॉन मुझे   एयरपोर्ट के बाहर टैक्सी तक छोड़ने आया। मेरा हाथ पकड़ कर के टैक्सी में बैठाया ,फिर बोला  --"Don't forget your stick." टैक्सी स्टार्ट होने तक मैं उसको देखती रही । काश !कुछ समय और उसके साथ बिता पाती।

पोती के घर पहुंचने से पहले ही आकाश  से बातें करती इमारतें दिखाई देने लगी।  मैंने मजाक में कहा-" हमारे देश में तो एक ही ऊंची मीनार है , इतनी सारी कुतुबमीनार यहाँ कहां से आ गईं?  

बेटे ने भी हंसते हुए जवाब दिया --" मां ,यहाँ की कुतुब मीनार अकेली नहीं !अपने पूरे कुनबे के साथ है। एक 70  मंजिली मीनार में तो आपकी पोती भी रहती है।" 

शिकागो झील के पास ही एक गगन चुम्बी इमारत के सामने हमारी टॅक्सी रुकी। जैसे-जैसे मिशीगन लेक के पास आते गए इमारतों का आकार बड़ा होता गया। टैक्सी से उतर कर लगा उस इमारत के सामने तो हम चींटियों के समान हैं। चमचमाती 40 वीं  मंजिल पर हम आए। 

एक नई ऊर्जा के साथ घर में घुसी । कभी सोचा न था कि पोती के घर आऊँगी। वह भी शिकागो जैसी जगह पर । पर उसका प्यार खींच लाया। उसने पिछले वर्ष मुझे परनानी  बनाकर मेरी झोली में अनगिनत खुशियाँ डाल दीं। और संयोग देखो! मेरे और मेरी पड़पोती का जन्मदिन  8मार्च हीहै।जब भी मैंने कहा -बेटा इतनी दूर आने की --इतना लंबा सफर करने की हिम्मत नहीं होती। तो चिढ़ जाती -अम्मा आपको क्या हुआ है ?ठीक ठाक तो हो।बच्चों का इतना स्नेह !अभिभूत हो उठती हूँ। सबसे मिलकर मैंने पूरे घर में चहलकदमी शुरू कर दी। जिज्ञासा ने पंख फैलाने शुरू कर दिये।  शीशे की दीवारों से नीचे झाँककर  देखा --रंग बिरंगे घर एक कतार मेँ बड़े छोटे और मनमोहक बौने से लग रहे थे। कारें चुहिया की तरह फुदकती नजर  आ रही थीं। उनके पीछे ऊंची इमारतों के कतारे। बड़ा भव्य दृश्य !आराम कुर्सी खींचकर बैठ गई।  उसे देखते हुए चाय की चुसकियों सहित थकान मिटाने लगी। 


   पोती ने बड़े शौक व मेहनत से मेरा मन पसंद सब्जियाँ बनाईं । खाने बैठी तो बोली-”अम्मा अभी गरम गरम रोटी बनाती हूँ।” 


“न बेटा !चावल ही खा लूँगी। रोटी बनाएगी -गंदगी होगी,चार बर्तन ज्यादा होएंगे ,फिर उन्हें धोएगी!बड़ा झमेला है!”

मैं तो अपना राग ही अलापती  रही---- उसने घी की सौंधी -सौंधी खुशबू भरी रोटी  मेरी थाली मेँ भी रख दी। 

“ऐन!तेरा गैस चूल्हा तो बंद है। रोटी कैसे बनी!"

"अम्मा यह सब रोटी मेटिकरोटी  रोबो का कमाल है। उसे पानी, आटा और घी दे दो । अपने आप आटा गीला करके फुल्ली रोटी बना देगा।"

मैंने भरपेट खाया तो बस आँखें बोझिल होने लगीं।  कल रात  जागने की इच्छा होते हुए भी अपने को जगा कर नहीं रख पाई।  अपने देश का चुनावी धमाका देखना था। मन मार कर सो गई लेकिन लगता है कि रात भर मुझे चुनावी  दुनिया के सपने आते रहे। 


 



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