3-शिकागो ग्रांट पार्क में अगोरा बिग फीट
अभी तक तो यही सुना -पढ़ा था कि शिकागो बिंडी सिटी कहलाता है। लेकिन आज यह भी देख लिया कि विंडी सिटी होता क्या है। घर से तो बहू के साथ थोड़ा घूमने के लिए ही पैदल निकल पड़ी थी। साथ में नन्ही परी को भी ले गएा। वह प्रेंबुलेटर में बैठी थी। दूर से हरे -भरे पेड़ों का झुरमुट दिखाई दिया। मुदित मन उसी ओर मुड़ गए। मिशिगन एवेन्यू से करीब आधे किलोमीटर चले होंगे कि ग्रांट पार्क पहुंच गए।
घर से चले तो अच्छी खासी धूप थी । हल्का सा बस एक स्वेटर पहन लिया था। अचानक बदली छा गई। पानी बरसने के आसार नज़र आने लगे। हमारे दिल की धड़कनें तो तेज हो गईं। परंतु ईश्वर की लीला !कुछ देर में ही धूप निकल आई। जन में जान आई लेकिन साथ ही हवा के झोंके भी ले आई। कुछ ही मिनटों में हवा इतनी तेज हो गई कि लगा हमें उड़ा कर ही दम लेगी ।
शांत वातावरण में हलचल पैदा हो गई। मैंने बहू की बांह कसकर पकड़ ली । मानो मै एक बच्ची होऊँ और हवा के हल्के से धक्के से लुढ़क जाऊँगी। पैर जमाते हुए एक -एक इंच आगे बढ्ने लगी। लेकिन चारों तरफ का दृश्य आँखों में भरने को भी आतुर थी। ।
अचानक एक तरफ बनी ऊंची -ऊंची बिना सिर वाली आकृतियों की भीड़ को देख ठिठक गई।
हवाई तेज झोंकों को तो भूल गई !आकृतियों की ओर द्रुत गति से अपने को संभालती - बढ्ने लगी। गगन चुम्बी इमारतों की तरह आकृतियाँ भी बड़ी -बड़ी! कम से कम 9-10 फीट की तो होगी।खूब चमक रही थी। जरूर लोहे में कास्य और स्टील मिलाया होगा। पास आने पर मैं तो उनके लंबे -लंबे पैरों को ही देखती रह गई । खड़ी एक जगह थीं पर लगता था चारों तरफ उनके कदम बढ़ रहे हैं। मुझे तो वे सिर विहीन मूर्तिया बहादुर सिपाही नजर आ रहे थे जो जरूर अपनी जान पर खेल गए होंगे। बस अत्याचारियों ने सजाये तौर पर उनके सिर धड़ से अलग करने का हुकुम सुना दिया। । देखने से साफ पता लग रहा था कि जिनके संदर्भ में भी ये सिर कटी आकृतियाँ बनाई गईं वे दुखी और सताये लोगों का प्रतीक हैं। । मेरे अंदर तो एक पीड़ा सी उभर आई। । लेकिन जिसने भी इनको बनाया उसकी कलाकारिता की दाद दिये बिना न रही।
इन बिग फीट आकृतियों के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने का मोह न छोड़ सकी। तीखी -ठंडी हवाओं के तीरों का सामना करते हुए सूचनात्मक पट्टिका खोजने में जुट गई। आखिर सफल हो ही गई। उस पर लिखा था--
ये 106 आकृतियाँ पोलैंड की कलाकार मैग्डेलेना अबकानोविक्ज़ ने बनाया है।ये शिकागो को पॉलिश संस्कृति मंत्रालय से उपहार स्वरूप मिलीं ।
वारसॉ के बाहर एक कुलीन परिवार में जन्मी मैग्डेलेना अबकानोविक्ज़ द्वितीय विश्व युद्ध और उसके बाद के पैंतालीस वर्षों के सोवियत वर्चस्व से बहुत प्रभावित थीं।वे कलाकार होने के साथ एक लेखिका भी थीं। एक जगह वे लिखती हैं-"उन्हें सामूहिक घृणा और सामूहिक प्रशंसा के विभिन्न रूपों से पाला पड़ा। जुलूस और परेड में अच्छे नेताओं की पूजा की जाती थी पर वे जल्द ही सामूहिक हत्यारे बन गए।"
अबकानोविक्ज़ ने पहली बार 1970 में मानव रूप से प्रेरित और अपनी भावनाओं के वशीभूत मूर्तियाँ बनाई
और दुनिया भर में इसी तरह के प्रतिष्ठान बनाए गए हैं, लेकिन अगोरा बिग फीट सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।
बिग फीट की बात तो समझ गई पर अगोरा !इसका मतलब !दिमाग में खलबली मच गई। एक माली को देख उसके पास गई और अगोरा के बारे में पूछ बैठी। उसने बताया -"बहुत पहले गाँव -शहर में एक स्थान पर लोग मिलने जुलने के लिए इकट्ठे होते थे। उसे अगोरा कहते थे। " गुत्थी सुलझ गई---यहाँ भी तो एक जगह पर ही 106 सिर कटी आकृतियाँ साथ -साथ खड़ी हैं ।
हवाई मौसम अब भी तीखा था। लेकिन तब भी खुश थी ---चलो आज कुछ नया जानने को मिला।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें