शुक्रवार, 6 मई 2016

कड़ी 8-कनाडा डायरी के पन्ने

साहित्य कुंज अंतर्जाल  पत्रिका में प्रकाशित -27॰04 ॰2016 , लिंक है-
http://www.sahityakunj.net/LEKHAK/S/SudhaBhargava/08_Shisupalan_kakshaayen.htm


शिशुपालन कक्षाएँ

सुधा भार्गव 

14/4/2003

यहाँ तो अप्रैल में भी गुलाबी ठंड सताती रहती है इसलिए एक स्वटर या शौल लटकाए ही रहती हूँ । रात में न मक्खी –मच्छर न पसीना । लिहाफ ओढ़कर एक बार सोई तो सुबह 7बजे से पहले नींद नहीं टूटती। आज तो बहू –बेटे की अंतिम पेरेंटस क्लास है। मुझे ये नि:शुल्क कक्षाएँ बहुत रोचक लगीं
प्रथम बार माँ –बाप बनने का सौभाग्य मिलने पर युवक -युवती को इस प्रकार शिक्षित किया जाता है कि वे कुशलता से अपनी संतान के पालन –पोषण का उत्तरदायित्व निभा सकें। राज्य की ओर से जगह-जगह स्वास्थ्य केंद्र खुले हुए हैं । इनमें प्रतिमाह होने वाले बच्चे की विकास प्रक्रिया और माँ के शरीर में होने वाले परिवर्तनों से अवगत कराया जाता है। पति अपनी पत्नी के कष्टों को जानकार उसके प्रति पूर्ण संवेदनशील रहता है । आत्मीयता के एकात्मक क्षणों में समर्पण की पराकाष्ठा मधुर हो उठती है।

शिशु जन्म के पश्चात दुर्बल माँ की देखभाल अधिकांशतया पति  को ही करनी पड़ती है । इसी कारण नौकरी पेशेवाली माँ को तो कई महीने की छुट्टियाँ मिलती ही हैं पर साथ में पिता को भी कुछ दिनों का वेतनिक अवकाश प्रदान करना अनिवार्य है । यदि कंपनी की तरफ से छुट्टियाँ नहीं मिलतीं तो सरकार उनकी व्यवस्था करती है।
माँ को समय –समय पर अपने स्वास्थ्य की जांच करने चाइल्ड –मदर यूनिट में जाना ही पड़ता है। उनके समस्त मेडिकल परीक्षणों की व्यय राशि का भार यहाँ सरकार करती है ।

इस सुव्यवस्था में आधुनिक चिकित्सा संबंधी जागरूकता स्वाभाविक है ।रक्त परीक्षण ,ब्लड प्रेशर ,डाईविटीज ,संतुलित भोजन आदि शब्दों पर अज्ञानता की परतें जम कर नहीं रह गई है । नर्सें भी अपने पेशे के प्रति ईमानदार हैं । वे बहुत धैर्य से अनुभवहीन माँ को बच्चे से संबन्धित जानकारी देती हैं। इससे न जाने कितने भोले भालेमुखड़े मुरझाने से बच जाते हैं ।

अचरज समस्त सीमाएं लांघ गया जब मुझे यह जानकारी मिली की अस्पताल में प्रसव पीड़ा तथा शिशु जन्म के समय पति भी पत्नी के साथ –साथ प्रसव कक्ष या आपरेशन थियेटर में जाता है । लोगों की यह धारणा है कि पति की सहानुभूति व प्रेमपूर्ण स्पर्श  से बच्चा सुविधा से होता है । औरत यह अनुभव करे कि जिस व्यक्ति के  कारण उसको भयंकर प्रसव पीड़ा से गुजरना पड़ रहा है वह उसके दुख के समय कदम से कदम मिलाकर चल रहा है तो बहुत सुकून मिलता है। एक और आश्चर्य !यहाँ बच्चे का नाल काटना बाप के लिए गर्व की बात है । लेबर रूम में प्रसव के समय फोटो भी खींची जा सकती है जो एल्बम की शोभा बढ़ाने में कामयाब होती है । 

कितना अच्छा होता यदि मेरे देश  भारत में भी मेडिकल साइन्स के क्षेत्र में इतनी सुविधाएं देकर सावधानी बरती जाती। इससे पुरुष  अपने बच्ची की जन्मधात्री के साथ अवश्य न्याय कर पाता ।